Ramzan ki fazilat dua Barkat wazaif > Hazrat Salmaan Faarsi RadiAllaho Ta’ala Anho ki Riwaayat “Ramzan ki fazilat” k bare me  me he ki HUZOOR SARWARE QAAYENAAT Sallallaho Alayhe Wasallam Ne Irshaad Farmaya Ramzan Mahine me Momin ka Roza Badhaya jata he Jo Isme Roza Iftaar Karaaye Uske Gunaaho ke liye Magfirat he Aur Uski Gardan Aaag se Aaazad kardi Jaayegi Aur Us Iftaar Karaane Wale ko Veisa hi Sawaab Milega Jeisa Roza Rakhne Wale ko Milega Bageir Iske ki Uske Azr me se Kuchh Kam ho, Hamne Arz ki YA RASOOLALLAH Sallallaho Alayhe Wasallam Ham me ka Har Shaksh wo Chiz nahi Pata Jisse Roza Iftaar Karaaye..??
HUZOOR NABI E KAREEM Sallallaho Alayhe Wasallam ne Farmaya ALLAH TA’ALA ye Sawaab Us Shaksh ko deiga Jo Ek Ghunt Doodh ya Ek Khurma Ya Ek Ghunt Paani se Roza Iftaar Karaaye Aur Jisne Rozedaar ko Bhar-peit Khana khilaya Usko ALLAH TA’ALA Meire Houz se Pilaayega ki Kabhi Pyaasa Na hoga Yaha Tak ki Jannat me Daakhil ho Jaye.
(Shoebul Imaan, Jild-3, Safa-305, Hadees-3608)
(Sahih Ibne Khuzeima, Jild-3, Safa-191, Hadees-1887)

> Hazrat Saiyyadna Zaid Bin Khaalid Juhni RadiAllaho Ta’ala Anho se Riwaayat he ki HUZOOR NABI E AKRAM Sallallaho Alayhe Wasallam Ne Irshaad Farmaya
Jisne Kisi Gaazi ya Haaji ko Saaman Diya Ya Us ke Pichhe Uske Ghar Waalo ki Deikh Bhal ki ya Kisi Rozaadaar ka Roza Iftaar karwaya to Use Bhi Unhi ki Misl Azr Milega Bageir Is ke ki Unke Azr me Kuchh Kami ho.
(Assunnatul Kubra Linnasaai, Jild-2, Safa-256, Hadees-3330)
> Hazrat Salmaan Faarsi RadiAllaho Ta’ala Anho se Riwaayat he ki HUZOOR SHAFI E MEHSHAR Sallallaho Alayhe Wasallam Irshaad Farmate he
Jisne Halaal Khane Ya Paani se (Kisi Musalmaan ko) Roza Iftaar karaaya, Farishte Maahe Ramzaan ke Awqaat me Uske liye Istigfaar karte he Aur Jibrail Alayhis Salaam Shabe Qadr me Uske Liye Istigfaar karte he.
(Al Mazmaul Kabeer Tabraani, Jild-6, Saa-262, Hadees-6162)
> Ek Riwaayat me he ki Jo Halaal Kamaai se Ramzaan me Roza Iftaar Karaaye, Ramzaan ki Tamaam Raato me Farishte Uspar Durood Bheijte he Aur Shabe Qadr me Jibrail Alayhis Salaam Us se Musaafa karte he.
(Kanzul Ummal, Jild-8, Safa-215, Hadees-23653)
> Rozaadaar ko Paani Peela ne ki Fazilat :-
Riwaayat me he ki Jo Rozaadaar ko Paani Pilaayega ALLAH TA’ALA Use Meire Houz se Pilaayega ki Jannat me Daakhil hone tak Pyasa Na hoga.
(Shoebul Imaan, Jild-3, Safa- 305 – 306, Hadees-3608)
(Sahih Ibne Khuzeima, Jild-3, Safa-192, Hadees-1887)

 Ramzaan ALLAH TA’ALA Ka Naam he Sirf Ramzaan Na Kaho :-

Lafz E “Ramzaan” ke Baare me Ulma E Mufassireen ka Pehla Qaul Ye he ki “Ye ALLAH TA’ALA ka Naam he Jis Tarah “Rehman” ALLAH TA’ALA ka Naam he.
> “Aye Musalmano Yu Na Kaha karo ke Ramzaan Aa gaya Aur Ramzaan Chala Gaya, Balki Aysa Kaho ki Ramzaan Ka Mahina Aa gaya Aur Ramzaan ka Mahina Chala Gaya, Kyu ki Ramzaan ALLAH TA’ALA Ka Naam he”.
(Tafseer E Kabeer, Jild-5, Safa-91)
(Tafseer E Rooh ul Bayaan, Jild-3, Safa-422)
> “Aye Lougo Sirf Ramzaan Na Kaha karo, Balki Maah E Ramzaan Kaha karo, Kyu ki Ramzaan ALLAH TA’ALA ke Naamo me Ek Naam he”.
(Umdat ul Qari, Fatah-ul-Bari,
Ba-Hawala Hashiya Bukhari, Hissa-1, Safa-255)
> *Mashwara :*
Is Mahine Ka Mukammal Adab Kare Aur Isko Adab se Pukara Kare…
✔ Maah-e-Ramzan,
✔ Ramzaan-ul-Mubarak,
✔ Ramzaan Sharif,
✔ Ramzaan Ka Mahina,
Sirf Ramzaan Na Kahe
*BA-ADAB BA-NASIB,*
*BE-ADAB BADD-NASIB*

 

रमजान की फ़ज़ीलत हिंदी में परहे

क़ुरान-
ए इमांन वालो तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किये गए जैसे उनपे फ़र्ज़ हुवा था जो तुम से पहले हुवे ताकि तुम गुनाहो से बचो फिर ओम में कोई बीमार हो या सफर में हो
(बीमारी खत्म होने क बाद रोज़ा रखे और जो ताक़त नहीं रखते वो फ़दया दे एक मिस्कीन का खाना फिर उस में जो भलाई करे वो बेहतर हे
अगर तुम जानते हो(सूरह बक़रह आयत २८७ पारा २ आयत १८७ )
हदीस -जब रमजान मुबारक आता हे तो रेहमत क दरवाज़व खोल दिए जाते हे और जहन्नम क दरवाज़े बंद कर दिए जाते हे और शयातीन ज़ंजीरों में क़ैद कर दिए जाते हे(सही मुस्लिम शरीफहादिस १०७९)
हज़रात इब्ने अब्बास से रिवायत हे कइ जब रमज़ान का महीना आता तो हुज़ूर अलैहिस्सलाम सब क़ैदियों को रिहा फ़रमादेते और हर मांगले वाले को अत फरमाते
हज़रत सलमान फ़ारसी रिवायत करते हे की हुज़ूर ने शाबान क आखरी दिनों में वाज़ फ़रमाया हुज़ूर फरमाते क तुम में एक अज़मत वाला और बरकत वाला महीना आरा है हे जिस कम एक रात हज़ार महीनो से अफ़ज़ल हे इस क रोज़े अल्लाह ने तुम पर फ़र्ज़ किये इस की रातो में क़याम करना इसमें नेकी का कोई काम करे तो ऐसा हे जैसे और महीने में फ़र्ज़ अदा किया और फ़र्ज़ ऐडा किया तो ऐसा हे जैसे दूसरे किसी महीने में ७० फ़र्ज़ ऐडा किये
ये महीना सब्र का ह और सब्र का बदला जन्नत हे
 
रमजान में जकात देने का सवाब
जकात उस दिन को कहा जाता है जो हमारी कमाई से निकलकर अल्लाह की राह में खर्च किए जाएं।रमजान में जकात गरीबों में बांटना बहुत सवाब का काम है शबे कद्र
रमजान में एक रात ऐसी भी आती है जो हजारों रातों से बेहतर है। जिसे शबे कद्र कहा जाता है। इस रात की इबादत हज़ारों वर्ष की इबादतों से बेहतर है। इसीलिए इस रात की फजीलत कुरान ए मजीद में भी प्रमाणित है। इस पवित्र रात में अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम को लोह़ महफूज़ से आकाश दुनिया पर उतारा फिर 23 वर्ष की अवधि में आवयश्कता के अनुसार मुहम्नद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारा गया। जैसा कि अल्लाह तआला का इर्शाद है
रमजान के फ़ाईदे।।
१.) जे मुसलमान माहे रमज़ान का चांद देखकर ह्मद-व-सना बजा लाए और सात मरतबा सूरऍ फ़ातेहा पड ले तो इस महीने भर आखे मे किसी भी कीशम की शिकायत नही होग
२.) की कझूनी से अजाईब अलमछकात मे हज़रत इमाम जाफर सादीक रदीअललाह ताला अनहे से बयान किया है गजसता माहे रमज़ान की ५ तारीख के जे दीन होगा आईनदा माहे रमज़ान की वही पहली तारीख होगी लोगे ने ५० साल तक उस का तरजूबा किया और बा-लकल दोसत रहा।
३.) रमज़ान का सब से बरा फाईदा ये है के जे ईनसान रेजे रखे गा उस का इनाम अललाह खुद देगा। सूबहानललाह
नीयत रोजे
हज़रत इमाम षाफई और हज़रत इमाम हमद बीन हमबल रदी हललाहू तआला अनहू के नजदीक हर सब माहे रमज़ान के रोजे के नीयत करना वाजिब है।
रोजे के मसाईल
१) हदीस फजाईले रमज़ान .
२) मसाईल – अ – फीहीया.
३) रोजे की तारीफ़.
४) रोजे की नीययत के मसाईल.
५) उन चीजे का बयान जी से रोज़ा नही टूटता.
६) रोज़ा तेडने वाली चीजो का बयान.
७) उन सूरतो का बयान जिन मे सीरफ क़ज़ा लाज़िम है.
८) उन सूरतो का बयान जिन मे कफफारा भी लाज़िम है.
९) कफफारे का बयान
१०) कफफारा लाजीम होने की सरते.
जो शख्स माहे रमजान में इबादत पर स्टे का मत अख्तियार करता है अल्लाह ताला उसे हर वक़्त पर नूर का एक-एक सूमार इनाम देगा.
हदीस
१) हजरत अबू हुरैरा रदी अल्लाहू ताला अनहो फरमाते हैं के हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम फरमाते हैं के “रमजान आया यह बरकत का महीना है ” अल्लाह ताला ने इस के रोजे तुम पर फरज कीये। इस महीने में आसमान के सारे दरवाजे खोल दिए जाते हैं और दोजक के दरवाजे बंद किए जाते हैं।
२) हजरत अबू हुरैरा रदी अल्लाह ताला अनहो से रिवायत है के रसूले अकरम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने फरमाया ” हर चीज के लिए झकात है और बदन की जकात रोजा है और रोजा आधा सब्र है “।
३) हजरत अबू मसूद गफफारी रदी अल्लाह ताला अन्हो से रिवायत है के हुजूरे अकदस रदी अल्लाह ताला अनहो ने फरमाया ” अगर मेरे बंदों को मालूम होता के रमजान क्या चीज है तू मेरी उमत तमन्ना करती के पूरा साल रमजान ही हो। सुभानल्लाह सुभानल्लाह।
४) जे सखस माहे रमज़ान मे की सी हाजत मंद की दरखाशत पूरी करता है अलला ताला उस की दस लाख हाजते भर लाए गा।
५) जे सखस माहे रमज़ान मे अयाल दार पर खैरात करता है अल्लाह तआला उसक नामऐ
 
आमाल मे दस लाख नोकिया दरज करता है और दस लाख गूनाऐ के g माफ़ कर दे गा।
रमज़ान  ईसलामीक कैलेनदर के मुताबिक़ नौवा महीना रमज़ान का होता है। इस महीने के मुसलमान लोग रोजा रखते है। रमजान महीने में कुरान नाजिल हुआ था
रमजान महीने में रोजे रखना अनिवार्य माना गया है। रमजान का वर्णन इसलाम की धार्मिक किताबरान में भी हुआ है।रमजान का महीना बड़ा फजीलत वाला है
रमजान में जकात देने का सवाब
जकात उस दिन को कहा जाता है जो हमारी कमाई से निकलकर अल्लाह की राह में खर्च किए जाएं।रमजान में जकात गरीबों में बांटना बहुत सवाब का काम है शबे कद्र
रमजान में एक रात ऐसी भी आती है जो हजारों रातों से बेहतर है। जिसे शबे कद्र कहा जाता है। इस रात की इबादत हज़ारों वर्ष की इबादतों से बेहतर है। इसीलिए इस रात की फजीलत कुरान ए मजीद में भी प्रमाणित है। इस पवित्र रात में अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम को लोह़ महफूज़ से आकाश दुनिया पर उतारा फिर 23 वर्ष की अवधि में आवयश्कता के अनुसार मुहम्नद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर उतारा गया। जैसा कि अल्लाह तआला का इर्शाद है
रमजान के फ़ाईदे।।
१.) जे मुसलमान माहे रमज़ान का चांद देखकर ह्मद-व-सना बजा लाए और सात मरतबा सूरऍ फ़ातेहा पड ले तो इस महीने भर आखे मे किसी भी कीशम की शिकायत नही होग
२.) की कझूनी से अजाईब अलमछकात मे हज़रत इमाम जाफर सादीक रदीअललाह ताला अनहे से बयान किया है गजसता माहे रमज़ान की ५ तारीख के जे दीन होगा आईनदा माहे रमज़ान की वही पहली तारीख होगी लोगे ने ५० साल तक उस का तरजूबा किया और बा-लकल दोसत रहा।
३.) रमज़ान का सब से बरा फाईदा ये है के जे ईनसान रेजे रखे गा उस का इनाम अललाह खुद देगा। सूबहानललाह
नीयत रोजे
हज़रत इमाम षाफई और हज़रत इमाम हमद बीन हमबल रदी हललाहू तआला अनहू के नजदीक हर सब माहे रमज़ान के रोजे के नीयत करना वाजिब है।
रोजे के मसाईल
१) हदीस फजाईले रमज़ान .
२) मसाईल – अ – फीहीया.
३) रोजे की तारीफ़.
४) रोजे की नीययत के मसाईल.
५) उन चीजे का बयान जी से रोज़ा नही टूटता.
६) रोज़ा तेडने वाली चीजो का बयान.
७) उन सूरतो का बयान जिन मे सीरफ क़ज़ा लाज़िम है.
८) उन सूरतो का बयान जिन मे कफफारा भी लाज़िम है.
९) कफफारे का बयान.
१०) कफफारा लाजीम होने की सरते.
जो शख्स माहे रमजान में इबादत पर स्टे का मत अख्तियार करता है अल्लाह ताला उसे हर वक़्त पर नूर का एक-एक सूमार इनाम देगा.
हदीस
१) हजरत अबू हुरैरा रदी अल्लाहू ताला अनहो फरमाते हैं के हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम फरमाते हैं के “रमजान आया यह बरकत का महीना है ” अल्लाह ताला ने इस के रोजे तुम पर फरज कीये। इस महीने में आसमान के सारे दरवाजे खोल दिए जाते हैं और दोजक के दरवाजे बंद किए जाते हैं।
२) हजरत अबू हुरैरा रदी अल्लाह ताला अनहो से रिवायत है के रसूले अकरम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने फरमाया ” हर चीज के लिए झकात है और बदन की जकात रोजा है और रोजा आधा सब्र है “।
३) हजरत अबू मसूद गफफारी रदी अल्लाह ताला अन्हो से रिवायत है के हुजूरे अकदस रदी अल्लाह ताला अनहो ने फरमाया ” अगर मेरे बंदों को मालूम होता के रमजान क्या चीज है तू मेरी उमत तमन्ना करती के पूरा साल रमजान ही हो। सुभानल्लाह सुभानल्लाह।
४) जे सखस माहे रमज़ान मे की सी हाजत मंद की दरखाशत पूरी करता है अलला ताला उस की दस लाख हाजते भर लाए गा।
५) जे सखस माहे रमज़ान मे अयाल दार पर खैरात करता है अल्लाह तआला उसक नामऐ आमाल मे दस लाख नोकिया दरज करता है और दस लाख गूनाऐ के माफ़ कर दे गा।
हज़रत सुलेमान फारस रदी अललाहू ताला अन्ह फ़रमाती है ” रसुले करीम सललहु त’आला अलैही वसलम ने शाबान के आखिर मे ख़िताब फरमाया।
रमज़ान
ईसलामीक कैलेनदर के मुताबिक़ नौवा महीना रमज़ान का होता है। इस महीने के मुसलमान लोग रोजा रखते है। रमजान महीने में कुरान नाजिल हुआ था
रमजान महीने में रोजे रखना अनिवार्य माना गया है। रमजान का वर्णन इसलाम की धार्मिक किताबरान में भी हुआ है।रमजान का महीना बड़ा फजीलत वाला है
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