Mahe ramzan k khaas amaliyat or wazaif in hindi
माहे रमजान की पहली शब् को बाद नमाज़े ईशा एक मर्तबा सौराह फतह पढ़ना बहुत अफ़ज़ल हे
माहे रमजान की पहली शब् नामज़ा तहज्जुद क बाद आसमान की तरफ मुँह करके ये दुआ पढ़े
लाइलाहा ईल्लाल्ल्हूल हक़्क़ुल क़य्यूमुल क़ाइमु ाला कुल्ली नफ़सिन बिमा कस बत
इस दुआ को पर्ने से बे शुमार नेमते हासिल होगी।
माहे रमजान में रोज़ाना हर नमाज़ के बाद इस दुआए मगफिरत को तीन मर्तबा परहे।
अस्तग़्फ़िरुल्लाहिल अज़ीम लाइलाहा िल्लाहुवा हुवल हैयुल क़य्यूम तौबाटा आब्दीन ज़ालिमिल ला यामलिकु नफसह ज़रराव वला नफ अव वला मौतव वला हयअतएव वला नुशूरा
रमज़ानुल मबारक में हर नमाज़े तरविः के बाद रोज़ाना तीन मरतबा कलमे तैयबा पढ़े इस की बहुत फ़ज़ीलत हे।
अव्वल मर्तबा पढ़ने से गुनाहो की मगफिरत होगी दूसरी मर्तबा पढ़ने से दोज़ख से आज़ाद होगा तीसरी मरतबा अपरहने से जन्नत का मुस्तहिक़ होगा.
माहे रमजान की इकीसवीं शब् को सौराह क़द्र पढ़ना बहुत अफ़ज़ल हे
माहे रमजान की पच्चीसवी शब् को सौराह दुखन प ढ़े एक बार पढ़ना बहुत अफ़ज़ल हे अल्लाह टाला इस सूरत क पढ़ने की वजह से अज़ाबे कब्र से मेहफ़ूज़ फरमाएगा
माहे रमजान की तीसवी शब् को सौराह यासीन पढ़े और सौराह रेहमान एक एक बार पढ़ना बहुत अफ़ज़ल हे
माहे रमजान की सत्ताईसवीं शबे क़द्र को सातो हां मीम पढ़ना अज़ाबे क़ब्र और गुनाहो की मगफिरत क िलये बहुत अफ़ज़ल हे
माहे रमजान की सत्ताईसवीं शबे क़द्र को सूरे मुल्क सात मर्तबा गुनाहो की मगफिरत क िलये बहुत अफ़ज़ल हे
माहे रमजान की उन्तीसवी शबे क़द्र को सूरे वाक़िया सात मर्तबा तरक़्क़ी रिज़्क़ के लिए बहुत अफ़ज़ल हे
माहे रमजान की किसी भी शब् को बाद नमाज़े ईशा सूरे क़द्र हर मुसीबत से निजात कइ लिए बहुत अफ़ज़ल हे
mashallah