चार यार (रदीयल्लाहु तआला अन्हु) हजरत अबु अब्दुल्लाह मुतहदी फरमाते है। एक साल मे हज के लिये गया।तो हरम शरीफ मे एक एसे शख्स से मूलाकात हुई। जो पानी नही पिता था।मे ने इस से वज्ह दरयाफ्त की के तुम पानी क्यो नही पीते। तो इसने बताया।के मे हजरत अली (रदीयल्लाहु तआला अन्हु)से मुहब्बत का मुद्दई था।ओर हजरत अबु बकर (रदीयल्लाहु तआला अन्हु)ओर हजरत उमर (रदीयल्लाहु तआला अन्हु)ओर उस्मान (रदीयल्लाहु तआला अन्हु)से बुग्ज रखता था।एक रात मे सोया।ओर मेने देखा।के कयामत बरपा है।ओर लोग बरे परेशान है ओर खुद कोषर पर पहुंचा।तो वहा मे ने ।हजरत अबु बकर ,हजरत उमर, हजरत उस्मान,हजरत अली (रदीयल्लाहु तआला अन्हु)को देखा ।जो प्यासो को पानी पिला रहे थे।मे सिधा हजरत अली के पास पहुंचा ओर पानी माँगा।मगर हजरत अली ने अपना मूंह फेर लिया। फिर में हजरत अबु बकर के पास गया।तो उन्हु ने भी मुंह फेर लिया।फिर हजरत उमर ओर उस्मान के पास गया। तो उन्हु ने भी मुंह फेर लिया।मे बड़ा परेशान हुआ।ओर रसूल (सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम ) की तलाश की चूनान्चे हुजूर (सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम )मेदाने हस्र मे तशरीफ फरमा नजर आए। मे उन की खिदमत मे हाजिर हुआ। ओर शिकायत की।या रसूल अल्लाह मूझे सख्त प्यास लग रही है। ओर मे होजे कोषर पर गया।ओर हजरत अली से माँगा। तो उन्हो ने मूंह फेर लियाओर पानी नही पिलाया।हुजूर(सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम )ने फरमाया:मेरा अली तूम्हे पानी केसे पिलाए ? जब के तुम मेरे सहाबा से बुग्ज रखते हो।मेने अजॅ कि या रसूल अल्लाह ! क्या मेरे तौबा कि गून्जाइश हे या नही ? फरमाया ! हां हे सच्चे दिल तोबा करो।ओर मेरे सहाबी से मुहब्बत रखो।फिर मे तूम्हे अभी एसा जाम पिलाऊंगा के उम्रभर तूम्हे प्यास न लगे गी। चूनान्चे मे बुग्ज सहाबी से तोबा की।तो हुजूर(सल्लाहु तआला अलैही वसल्लम )ने मूझे एक जाम दिया।जो मेने पिया।फिर मेरी खूली तो मूझ�
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