हदीसों की रौशनी, हज़रते अबू हुरैरह रदियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में अर्ज़ किया के मैं आपसे बहुत सारी हदीसें सुनता हूँ लेकिन भूल जता हूँ
आप ने फरमाया अपनी चादर फैलाओ मैंने अपनी चादर बिछादी आप ने दोनों हाथों से लप बना कर चादर में कुछ डाल दिया और फरमाया इसको लपेट लो मैंने चादर को लपेट लिया और उसके बाद कभी कोई बात न भूला
बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफ़्हा 22
इस हदीस में देखिये कैसे रूहानी इख्तियारात हैं किया शाने तसर्रुफ़ है और खुदादाद कुदरत है हुज़ूर खाली चादर में बज़ाहिर ख़ाली लप बनाकर डालते हैं और कैसी बे मिसाल याद दाश्त अता फरमाते हैं और हुज़ूर की अता और बख्शिश का नतीजह है के जनाबे अबू हुरैरह से जितनी अहादीस रिवायत की गईं वह और किसी सहाबी से नहीं
हजरते अबू हुरैरह से मर्वी है के रसूलुल्लाह ने इरशाद फरमाया के मैं कियामत के दिन सारे इंसानों का सरदार हूँ
बुखारी किताबुल अम्बिया सफहा 470 मुस्लिम जिल्द 1 सफहा 111
इस हदीस से मालूम हुआ के हुज़ूर अलैहिस्सलाम की हुकूमत व बादशाहत व सरदारी और सल्तनत सिर्फ दुन्या ही में नहीं बलके कियामत के दिन भी आप ही का सिक्का चलेगा इसी लिए आपको सरकारे दोआलम और सरवरे कौनैन कहा जाता है
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